ऐसे मामलों में अधिकरण के रूप में काम करता है जिलाधिकारी : हाईकोर्ट
ब्यूरो, इलाहाबाद : हाईकोर्ट ने कहा है कि ग्राम प्रधान के वित्तीय व प्रशासनिक अधिकार छीनने के आदेश के खिलाफ विशेष अपील पोषणीय नहीं है।
कोर्ट ने कहा है कि उप्र पंचायत राज एक्ट के अंतर्गत जिलाधिकारी प्रारंभिक जांच के निष्कर्ष पर ग्राम प्रधान के वित्तीय एवं प्रशासनिक अधिकार जब्त कर सकता है। यह कार्यवाही शिकायतकर्ता की हलफनामे के साथ दाखिल अर्जी पर की जाती है और जिलाधिकारी राज्य सरकार द्वारा प्रत्यायोजित शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए अंतनिर्हित शक्तियों के तहत यह कार्यवाही करता है। वह अधिकरण के रूप में कार्य करता है। हाईकोर्ट रूल्स के तहत अधिकरण, कोर्ट या वैधानिक पंचाट के फैसले को लेकर दाखिल याचिका के फैसले के विरुद्ध विशेष अपील दाखिल नहीं की जा सकती।
यह आदेश मुख्य न्यायाधीश शिवकीर्ति सिंह तथा न्यायमूर्ति दिलीप गुप्ता की खंडपीठ ने सोनिया की विशेष अपील को पोषणीय न मानते हुए दिया है। अपील की पोषणीयता पर स्थायी अधिवक्ता डीके तिवारी ने आपत्ति की और कहा कि ग्राम प्रधान के विरुद्ध शिकायत पर जिलाधिकारी अधिकरण की तरह काम करता है। जब कि अपीलार्थी के अधिवक्ता का कहना था कि यह कार्यवाही न्यायिक न होकर प्रशासनिक है और जिलाधिकारी के आदेश के खिलाफ याचिका पर पारित आदेश को विशेष अपील में चुनौती दी जा सकती है। मालूम हो कि अलीगढ़ की तहसील अतरौली के पाली मुकीमपुर के ग्राम प्रधान के विरुद्ध अनियमितता बरतने की शिकायत की गयी जिस पर जिलाधिकारी ने वित्तीय व प्रशासनिक अधिकार छीन लिए। कोर्ट ने याचिका को निस्तारित करते हुए जिलाधिकारी को अंतिम निर्णय लेने का निर्देश दिया जिसे अपील में चुनौती दी गयी थी। कोर्ट ने विवेकानंद यादव केस में पूर्णपीठ के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि अपील पोषणीय नहीं है।
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