भदोही: यूं तो भूजल का खिसकता स्तर दुनिया के लिए चिंतनीय है लेकिन कालीन नगरी में यह स्थिति भयावह है। प्रत्येक वर्ष चार से पांच फीट पानी नीचे खिसक रहा है। ऐसे में आने वाले समय में क्या हाल होगा कल्पना मात्र से शरीर सिहर जा रही है। यह स्थिति तब है जबकि जिले के दक्षिणी छोर से होकर गंगा भी प्रवाहित हो रही हैं। जहां प्रकृति के तालमेल से घालमेल का नतीजा है कि अवर्षा जैसी स्थिति बढ़ती जा रही है तो वहीं कागजों तक रहने वाली जलसंरक्षण क प्रशासनिक कवायद ने बेड़ा गर्क किया है।
जनपद में गंगा जनपद के दक्षिणी छोर से होकर निकलती हैं। वरुणा व मोरवा जैसी नदियां प्रवाहित हो रही हैं। हालांकि इस नदी से जनपद में जलसंरक्षण को कोई खास लाभ नहीं मिल रहा है। लगभग डेढ़ दशक से सामान्य से काफी कम बारिश हो रही है। हालत यह है कि बारिश के दिनों में भी नदियां पूरी तरह भर नहीं पातीं, जबकि गर्मी में तो नदियों व तालाबों में धूल उड़ने लगती है। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना मनरेगा के तहत करोड़ों रुपये खर्च कर सैकड़ों तालाब तो खोदवा दिए गए लेकिन बारिश न होने से उक्त तालाब बेमकसद साबित हो रहे हैं।
उधर, तालाबों व नदियों को लबालब करने के लिए प्रशासन के पास न तो कोई योजना है न ही उपाय। नतीजे में भीषण गर्मी के बीच नदियां व तालाब खुद प्यासे हैं। गर्मी की शुरुआत के साथ अधिकतर हैंडपंप पानी छोड़ दिए तो कुएं सूख गए। हैंडपंपों में अतिरिक्त पाइप जोड़कर काम चलाया जा रहा है, जबकि शासकीय नलकूपों की हालत भी कुछ ठीक नहीं है।
अधिशासी अभियंता नलकूप अनुरक्षण खंड एके सिंह ने बताया कि हैंडपंप डेढ़ सौ से दो सौ फीट की गहराई तक पानी उठा रहे हैं। हैंडपंपों का पानी न सूखे इसको दृष्टिगत रखते हुए 350 से 400 फीट नीचे से ट्यूबवेल से पानी उठाया जा रहा है। बताया कि जिले में नैरो व मीडियम ट्यूबवेल लगभग फेल हो चुके हैं। भूजल की स्थिति अच्छी न होने से डिप ट्यूबवेल के सहारे काम चलाया जा रहा है। स्वीकार किया कि हर वर्ष औसतन पांच फीट पानी नीचे खिसक रहा है।
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जागरुकता संग सख्ती भी जरूरी
लगातार गिरते जलस्तर के बावजूद जलसरंक्षण को लेकर लोगों की उदासीनता चिंता का कारण बनी है। बावजूद इसके उंची इंची इमारतें तो लोग खड़ी कर रहे हैं लेकिन जलसंरक्षण को लेकर उदासीन बने हैं। अधिकतर लोग जानते ही नहीं कि वाटर हार्वेस्टिंग किस बला का नाम है। उच्चतम न्यायालय के दिशा निर्देशों पर गौर करें तो बिना वाटर हार्वेस्टिग प्लांट के मकान के नक्शे ही पास नहीं किए जा सकते लेकिन यह काम जिले में धड़ल्ले से हो रहा है। ऐसी दशा में इसे लेकर जागरुकता अभियान के साथ ही प्रशासन को भी सख्ती से काम लेना चाहिए। अन्यथा आने वाले दिनों में स्थित भयावह ही नहीं विभत्स भी होगी।
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