-खुली बैठकों में संरक्षक सदस्यों के चयन को कोरम होगा अनिवार्य
-ग्राम शिक्षा समितियों के प्रति जवाबदेह बनायी जाएंगी एसएमसी
प्रदेश में बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित 1.59 लाख स्कूलों में नये सिरे से गठित की जाने वाली विद्यालय प्रबंध समितियों (एसएमसी) के गठन में प्रधानाध्यापकों की मनमर्जी नहीं, स्कूली बच्चों के अभिभावकों की चलेगी। एसएमसी के संरक्षक सदस्यों के चयन के लिए होने वाली खुली बैठकों में स्कूली बच्चों के अभिभावकों की न्यूनतम संख्या (कोरम) अनिवार्य होगी। वहीं एसएमसी की कार्यप्रणाली को ग्राम प्रधान की अध्यक्षता में गठित ग्राम शिक्षा समितियों के प्रति जवाबदेह बनाने की तैयारी है।
शिक्षा के अधिकार कानून के तहत हर सरकारी और अनुदानित स्कूल में एसएमसी का गठन अनिवार्य है। एसएमसी पर स्कूलों के प्रबंधन, उनमें संचालित हो रहीं सरकारी योजनाओं की निगरानी और उनके विकास के लिए योजनाएं बनाने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। प्रदेश में वर्ष 2011 में पहली बार एसएमसी का गठन किया गया था। 15 सदस्यीय एसएमसी के 11 सदस्य स्कूली बच्चों के अभिभावक या संरक्षक होते हैं जिन्हें संरक्षक सदस्य कहा जाता है। संरक्षक सदस्यों का चयन खुली बैठक में आम सहमति से करने का प्रावधान है। खुली बैठक के लिए अभी कोरम का कोई प्रावधान नहीं है। एसएमसी का दो साल का कार्यकाल इस साल पूरा हो रहा है और इस वर्ष नये से उनका गठन किया जाना है। शासन को लगातार यह शिकायतें मिल रही हैं कि समितियों के गठन में प्रधानाध्यापकों ने पारदर्शिता नहीं बरती। उन्होंने अपने चहेतों को एसएमसी का सदस्य बनवा दिया है जिन्हें न तो लिखना-पढ़ना आता है और न ही एसएमसी के अधिकारों की जानकारी है। प्रधानाध्यापक निजी स्वार्थो की पूर्ति के लिए एसएमसी का अपनी जेबी संस्था के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं। इस बात पर भी आपत्ति जतायी जा रही है कि इलाकाई जनप्रतिनिधियों (ग्राम प्रधानों) को एसएमसी की कार्यप्रणाली से अलग-थलग कर दिया गया है।
इन शिकायतों का संज्ञान लेते हुए बेसिक शिक्षा विभाग एसएमसी के गठन की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी, लोकतांत्रिक और उनकी कार्यप्रणाली को जवाबदेह बनाने की कवायद में जुटा है। सर्व शिक्षा अभियान का राज्य परियोजना कार्यालय इस बाबत प्रस्ताव तैयार कर रहा है। संरक्षक सदस्यों के चयन में प्रधानाध्यापक या किसी व्यक्ति विशेष की मनमर्जी न चले, यह सुनिश्चित करने के लिए खुली बैठक में उस स्कूल के 30 से 40 प्रतिशत बच्चों के अभिभावकों की उपस्थिति (कोरम) अनिवार्य होगी। अभिभावकों की मौजूदगी और उनकी आम सहमति से ही संरक्षक सदस्यों का चुनाव होगा। सभी को खुली बैठकों की जानकारी देने के लिए गांव में मुनादी करायी जाएगी। जिलाधिकारियों को निर्देश दिया जाएगा कि खुली बैठकों में अभिभावकों के चयन की प्रक्रिया पर नजर रखने के लिए वे तहसील या ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों की ड्यूटी लगायें। एसएमसी के लिए यह अनिवार्य होगा कि वह अपनी रिपोर्ट और खातों का लेखा-जोखा ग्राम शिक्षा समिति को नियमित रूप से प्रस्तुत करे।
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