जागरण ब्यूरो, इलाहाबाद : प्रदेश में सहायता प्राप्त स्कूलों के छात्रों को मध्यान्ह भोजन (मिड-डे-मील) योजना की सरकारी नीति में एकरूपता के मुद्दे पर इलाहाबाद हाई कोर्ट 5 अगस्त को सुनवाई करेगा। कोर्ट ने राज्य सरकार को सरकारी नीति पर अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया है।
उप्र प्रधानाचार्य परिषद मेरठ ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर प्रधानाचार्यो को मध्यान्ह भोजन की व्यवस्था करने के सरकारी आदेशों को यह कहते हुए चुनौती दी है कि कई जिलों में एनजीओ द्वारा मिड-डे-मील की व्यवस्था की जा रही है। ऐसे में मेरठ के स्कूलों में मध्यान्ह भोजन का जिम्मा प्रधानाचार्यो पर योजना उचित नहीं है। वैसे भी इन पर पढ़ाई व प्रशासनिक कार्यो का दबाव रहता है। कोर्ट ने जिले में जारी व्यवस्था को ही कायम रखने का निर्देश दिया है और इसी मामले को लेकर दाखिल अन्य जिलों की याचिकाएं भी सुनवाई के लिए मंगा ली है। मामले की सुनवाई 5 अगस्त को होगी।
यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति शिवकीर्ति सिंह तथा न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की खंडपीठ ने दिया है। याची के अधिवक्ता अनुराग खन्ना का कहना है कि मेरठ जिले में 11 एनजीओ कार्यरत हैं। बागपत व मुजफ्फर नगर में हाई कोर्ट के अंतरिम आदेश से एनजीओ कार्य कर रहे हैं। ऐसे में सरकार द्वारा प्रधानाचार्यो पर दबाव डालना उचित नहीं है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में सरकारी नीति में एकरूपता होनी चाहिए और पूरे प्रदेश में एक जैसी व्यवस्था होनी चाहिए। व्यापक हित में इस मामले पर सरकार अपना पक्ष रखे ताकि कोर्ट पर अनावश्यक याचिकाओं का दबाव न बढ़े।
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