लखनऊ (उप ब्यूरो)। प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा है कि प्राथमिक शिक्षकों को मिड-डे मील की जिम्मेदारी दिए जाने से शिक्षण कार्य नहीं बाधित होगा। सरकार के अनुसार शिक्षकों को वही काम दिया गया है जो केंद्र सरकार की गाइडलाइन में है। उन्हें मिड-डे मील के वितरण की नहीं, यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी गई है कि बच्चों को जो भोजन दिया जा रहा है, वह हानिकर तो नहीं है।
गौरतलब है कि मेरठ के उप प्रधानाचार्य परिषद की ओर से जनहित याचिका दाखिल कर अदालत में यह कहा गया था कि टीचर मिड-डे मील बांटे या फिर पढ़ाई कराएं। अदालत ने इस पर राज्य सरकार को अपनी नीति स्पष्ट करने का निर्देश दिया था। मुख्य न्यायाधीश शिवकीर्ति सिंह तथा न्यायमूर्ति विक्रमनाथ की खण्डपीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए याची को प्रत्युत्तर दाखिल करने के लिए कहा है। इस मामले की अगली सुनवाई 26 अगस्त को होगी।
याचिका में कहा गया है कि बागपत व मुजफ्फरनगर में हाईकोर्ट के आदेश पर एनजीओ द्वारा मिड-डे-मील की व्यवस्था की जा रही है, इसलिए मेरठ में भी यह कार्य एनजीओ को सौंपा जाए। याचिका की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा था कि पूरे प्रदेश में मिड-डे-मील की व्यवस्था में एकरूपता होनी चाहिए। इसी क्रम में राज्य सरकार की ओर से जवाबी हलफनामा पेश किया गया है।
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