- हाई कोर्ट ने महाधिवक्ता को बहस के लिए बुलाया
ब्यूरो, इलाहाबाद :
प्रदेश में तालाबों पर हुए अवैध कब्जे हटाने को लेकर नए नियम बनाने को सरकार इलाहाबाद हाई कोर्ट में जल्द ही अपना पक्ष रखेगी। सरकार ने बावत कवायद तेज कर दी है।
एक दशक पूर्व इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गाजीपुर के इकबाल अहमद की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के हिंचलाल तिवारी केस में दिए गए फैसले को आधार मानते हुए राज्य सरकार को प्रदेश के तालाबों के 1952 की स्थिति बहाल करने का आदेश दिया। सरकार ने मनरेगा योजना के तहत तालाबों की खुदाई शुरू तो कराई लेकिन उन्हीं तालाबों की खुदाई हो पाई जिन पर अवैध कब्जे नहीं थे। इस पर कोर्ट ने शहरी क्षेत्रों को छोड़ ग्रामीण क्षेत्रों के सभी तालाबों को अतिक्रमण मुक्त करने का आदेश दिया। बावजूद इसके तालाबों पर अवैध कब्जे का सिलसिला जारी रहा। उधर हाई कोर्ट में तालाबों पर अवैध कब्जे को लेकर रोजाना हाई कोर्ट में आधा दर्जन याचिकाएं दाखिल होती रहीं। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि सुधार अधिनियम के तहत एसडीएम को कार्यवाही के लिए आदेश देते कहा कि सक्षम अधिकारी के रूप में वह अवैध कब्जे हटवाएं। बीते दिनों हाई कोर्ट ने एसडीएम की कार्यवाही में विलंब को देखते हुए राज्य सरकार से संबंधित कानून में बदलाव लाने के लिए अपना पक्ष रखने की बात कही। अब सरकार के महाधिवक्ता माह के आखिर में कोर्ट के समक्ष सरकार का पक्ष रखेंगे। सूत्रों के मुताबिक पिछले सप्ताह शासन स्तर पर हुई एक बैठक में इस पर चर्चा भी हुई है। मुख्य सचिव की ओर से संबंधित अधिकारियों को कार्यवाही के निर्देश दिए गए हैं।
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