शिक्षा का अध्किार कानून लागू होने के पश्चात् विद्यालयों में योजनाओं की पारदर्शिता को लेकर स्कूल मैनेजमेंट कमेटी का गठन अब कागजी खानापूर्ति तक सीमित नहीं हो सकेगा।
सरकार के नये पफरमान के अनुसार कमेटी को पूरी तरह से प्रभावी बनाने के लिए नियंत्राण की बागड़ोर सीध्े अभिभावक के हाथ में होगा। पूर्व में जहां योजना के प्रारम्भ चरण मेें गुपचुप तरीके से कमेटी का गठन कर प्रधनाध्यापकों द्वारा मनमानी पूर्ण कार्य बे रोक टोक किया गया, वह अब नहीं हो सकेगा, क्योंकि सरकार ने इस कमेटी को लेकर जो पहरा लगाने की नई व्यवस्था लागू की है। वह किसी के मनमर्जी और जेब का न होकर बल्कि सीध्े प्रभावी रूप मंे दिखायी देगा। स्कूल मैनेजमेंट कमेटी को लेकर सोशल विजन के सह सम्पादक तथा इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अध्विक्ता संतोष कुमार गुप्ता के अनुसार पहली बार कमेटी के गठन मंे आमतौर पर पाया गया कि न तो कहीं पर खुली बैठक हुई और न ही अभिभावकों को सूचना दी गयी। यहां तक की ग्राम पंचायत को गुमराह किया गया। प्रधनाध्यापकों द्वारा अपने नजदीकी लोगांे को अध्यक्ष पद का बंदरबाट का खेल जमकर किया गया। वहीं दूसरी तरपफ लोगों में इस कमेटी को लेकर न तो कोई जानकारी थी और न ही जागरूकता, किंतु अब ऐसा नहीं हो सकेगा। कहा कि शासन की नई व्यवस्था के अनुसार समिति के गठन के पूर्व पढ़ने वाले सभी बच्चों के माता, पिता अथवा माता, पिता के न रहने की स्थिति में संबंध्ति अभिभावक को जानकारी दी जायेगी और इसके लिए गांव में मुनादी भी करायी जायेगी। जिस दिन गठन को लेकर खुली बैठक आयोजित होगी, उसमें कम से कम 50 प्रतिशत अभिभावक सदस्यों की उपस्थिति अनिवार्य होगी। कहा कि कमेटी के दो महत्वपूर्ण पद अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष में नई व्यवस्था के अनुसार एक महिला एवं एक पुरूष को रखा जायेगा। समिति में कुल 15 सदस्य चुने जायेंगे, जिसमें 11 सदस्य पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावक होंगे और उन्हीं में से अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष के लिए चयन होगा। इस कमेटी में सहायक नर्स अथवा एएनएम, संबंध्ति लेखपाल भी सदस्य होंगे, साथ ही एक सदस्य ग्राम पंचायत द्वारा भी नामित होगा। कहा कि समिति में आध्ी संख्या महिलाओं की होगी। प्रधनाध्यापक समिति का सचिव होगा और यह समिति दो वर्ष तक कार्य करेगी। कहा कि ग्रामीण क्षेत्रा में ग्राम पंचायत, नगर क्षेत्रा में सभासद का एक सदस्य प्रबन्ध् समिति मंें रहेगा, उसे प्रधन तथा सभासद को अपने सदस्यों के बीच से नामित करना है। कहा कि शिक्षा का अध्किार कानून को मजबूती के साथ प्रभावी बनाने के लिए सरकार पानी की तरह पैसा बहा रही है, लेकिन पूर्व की व्यवस्था में रही खामियों के चलते बच्चों का कम, समिति से जुड़े लोगांे का हित अध्कि हुआ। इस समिति मंे खास पहलू इस बार शासनादेश में आया है कि अब समिति में रसोईयां अथवा विद्यालय से संबंध्ति किसी भी कर्मी तथा उसके परिवार का कोई भी सदस्य नहीं होगा।
16 से पांच सितम्बर तक होगा नई समिति का गठन भदोही।
विद्यालयों में स्कूल प्रबन्ध्न समिति के पुर्नगठन शुरू कर दिया गया है। इसको लेकर शासन के निर्देशानुसार 16 अगस्त से पांच सितम्बर तक प्रत्येक विद्यालय में निर्धरित तिथियों में खुली बैठक शुरू की गयी है। इस संबंध् में सोशल विजन के संजय श्रीवास्तव ने बताया कि समिति के गठन को लेकर पारदर्शिता पूरी तरह से स्पष्ट दिखायी दे, इसके लिए ब्लाकवार सभी विद्यालयों में कमेटी गठन के लिए खुली बैठक अब प्रशासन द्वारा नामित पर्यवेक्षक की मौजूदगी में होगी। बताया कि सभी प्राथमिक विद्यालयों में सोशल विजन पत्रिका के माध्यम से पूरी जानकारी उपलब्ध् करायी जा रही है।
क्या है स्कूल प्रबन्ध्न समिति!
भदोही। ग्राम पंचायतों एवं निकाय क्षेत्रों मेें गांव तथा वार्ड की सेवा करने का एक सशक्त माध्यम स्कूल प्रबन्ध्न समिति हो सकती है। बताया जाता है कि प्राथमिक विद्यालयों की देख रेख तथा उसके सही संचालन की जिम्मेदारी इस कमेटी को दी गयी है। जिसके माध्यम से विद्यालय का संचालन बेहतर हो सके। देेखा जाय तो शासन की यह व्यवस्था पहली बार इस तरह बनायी गयी है कि पंचायती व्यवस्था में ग्राम प्रधन/अध्यक्ष के बाद इतनी बड़ी वित्तीय एवं प्रशासनिक शक्ति किसी को दिया गया है। यद्यपि इस व्यवस्था को लेकर अभी भी जागरूकता का अभाव बना हुआ है, पफलस्वरूप अपने उद्देश्य से अभी तक समिति दूर रही।
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